इस संदर्भ में राजसमंद एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि गांव बुरण्ड कुंभलगढ़ निवासी दीपचंद गमेती ने राजनगर थाने में एक रिपोर्ट पेश की। जिसमें बताया कि कम ब्याज पर लोन दिलाने की कहकर राजमल रेगर और प्रकाश खारोल ने लोन के कागज बताकर एक फार्म पर हस्ताक्षर करवाए थे। काफी लंबे समय तक लोन नहीं मिलने पर उसने बैंक जाकर मालूम किया तो पता चला लोन की जगह उसका बैंक में फर्जी चालू खाता खुलवाया गया था। जिसकी चेक बुक, पासबुक व एटीएम कार्ड भी जारी हो रखा है। उसके खाते में करोड़ों रुपए का लेनदेन है। पूछने पर दोनों अभियुक्त किसी को बताने पर उसे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। रिपोर्ट पर मुकदमा दर्ज कर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिव लाल बेरवा एवं सीओ बेनी प्रसाद मीणा के निर्देशन तथा थाना अधिकारी डॉ हनुवंत सिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में टीम गठित की गई।
गठित टीम ने त्वरित कार्रवाई कर अनुसंधान के दौरान मुंबई व राजसमंद से लोगों को गिरफ्तार किया। राजसमंद निवासी दोनों अभियुक्तों से पूछताछ में पता चला कि उन्हें करंट बैंक खाता बेचने पर 50 हजार से 1 लाख रुपये प्रति खाता तथा जीएसटी करंट बैंक खाता बेचने पर 5 लाख से 10 लाख रुपए प्रति बैंक खाता मिला करता है। उन्होंने अब तक कुल 7 फर्जी खाता खुलवा कर बेचे है। गिरफ्तार अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ की जा रही है। जिससे देश भर के अन्य कई मामले खुलने की पूरी संभावना है।
एसपी चौधरी ने बताया कि गिरोह का मास्टरमाइंड किशन लाल जैन है। किशनलाल ने साल 2012-13 में एक फिल्म बनाई। जिसमें उसने 17 करोड़ रुपये लगाए थे। फ़िल्म से उसे घाटा लगा था। किशन लाल मुंबई में एक ज्वेलरी की दुकान करने वाले को ठगी की रकम देता रहता है जो आगे अलग-अलग फिल्मों में इन्वेस्ट करता है। अपने आप को सफेदपोश बनाने के लिए इसने मुंबई में ज्वेलर्स की दुकान कर रखी है और इसके बैकग्राउंड में दुकान में काम करने वालों के परिचितों के नाम से बैंक खाता खुलवा कर ठगी की रकम को उन बैंक खातों में जमा करवा देता है।
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